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कंगन  : पुं० [सं० प्रा०, गु० मरा० कंकण, सिं० कंगणु, पं० कंगण० बँ० उ० काँकन, कांगन, का० काकम, कंगुन] १. चाँदी, सोने आदि का बना हुआ गोलाकार आभूषण, जो स्त्रियाँ कलाई पर पहनती हैं। २. सिखों के पहनने का लोहे का कड़ा या चक्र।
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कँगना  : पुं० [सं० कंगु] एक प्रकार की पहाड़ी घास। पुं०=कंगन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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कँगनी  : स्त्री० [हिं० कँगना] १. हाथ में पहनने का छोटा कंगन। २. दीवारों के ऊपरी भाग में (छत के पास) शोभा के लिए उभार कर निकाली हुई पट्टी या लकीर। (कार्निस) ३. किसी चीज में बनाई हुई, उक्त आकार की कोई आकृति या रचना। नुकीले, कँगूरों या दाँतोंवाला गोल चक्कर। जैसे—नैचे की कँगनी, परात की कँगनी आदि। स्त्री० [सं० कंगु] एक प्रकार का कंदन्न, जिसके दाने गोल और बहुत छोटे होते हैं।
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