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कलम  : स्त्री० [सं०√कल्+कमच् अथवा√कल्+णिच्+अम। अ० या कलम] १. छड़ के छोटे टुकड़े के रूप में बना हुआ वह प्रसिद्ध उपकरण या साधन जिसके द्वारा स्याही की सहायता से कागज आदि पर अक्षर शब्द, वाक्य आदि लिखे और लकीरें, बेल-बूटे आदि बनाये जाते हैं। विशेष—(क) यह शब्द संस्कृत में पुल्लिंग होने पर भी अरबी कलम के कारण उर्दू के प्रभाव से हिन्दी में स्त्रीलिंग ही माना जाता है। (ख) पहले लोहे की नुकीली कलमें होतीं थीं, जिनमें ताड़-पत्र आदि पर अक्षर बनाये जाते थे। आगे चलकर किलक, सरकंडे तथा कुछ बड़े पक्षियों के परों की कलमें बनने लगीं थी, जिनका अगला भाग छीलकर नुकीला कर दिया जाता था और उनके बीच का अंश काटकर दो भागों में विभक्त कर दिया जाता था, जिससे स्याही सहज में कागज पर उतरने लगती थी। फिर पाश्चात्य देशों में इसी प्रकार की पीतल, लोहे की छोटी जीभियाँ बनने लगी थी, जो कलमों के अगले भाग में फँसा दी जाती थी। अब अधिकार ऐसी कलमों का प्रचलन है जिनमें स्याहीं का खजाना भीतरी भाग में बना रहता है, जिसमें से स्याही आप-से-आप उतरती है। मुहा०—कलम चलना=लिखने का काम होना। लिखा जाना। कलम चलाना=लिखने का कार्य आरम्भ करना। लिखने लगना कलम तोड़ना=लिखने की ऐसी योग्यता या शक्ति दिखाना कि लोग दंग रह जाँ। (उर्दू के शायरों की बोल-चाल से गृहीत) (किसी लेख पर) कलम फेरना=किसी प्रकार की लिखावट या लेख पर रेखा या रेखाएँ खींचकर उन्हें निरर्थक, रद्द या व्यर्थ करना। जैसे—आपने तो उनके सारे लेख पर कलम फेर दी। (अर्थात्) उसे व्यर्थ कर दिया। २. उक्त के आधार पर लिखने का यथेष्ट कौशल, ढंग योग्यता या शक्ति या उसका परिचायत तत्त्व। लिखने का कौशल या उसकी सूचक विशिष्टता। जैसे—आपकी कलम भला कहीं छिप सकती है। ३. परों० बालों आदि की बनी हुई कूँची जिससे चित्रकार चित्र बनाते हैं। ४. उक्त के आधार पर चित्रकारी का विशिष्ट क्षेत्र, प्रकार या शैली। जैसे—पहाड़ी (या राजस्थानी) कलम के चित्र। ५. किसी पेशेवाले का वह औजार उपकरण जिससे वे बेल-वूटे आदि उकेरते या नकाशते हैं। जैसे—(क) कमेरों, संग-तराशों या सुनारों की कलम। (ख) शीशा काटनेवालों की हीरे की कलम। ६. शीशे के वे छोटे पहलदार और लंबोतरे टुकड़े जो शीशे के झाड़-फानूसों के नीचे शोभा के लिए कटकाये जाते हैं। ७. पेड़-पौधों की वे टहनियाँ जो काटकर दूसरी जगह इसीलिए गाड़ी या लगाई जाती है। कि उनसे उसी प्रकार के नये पेड़-पौझे उगें। ८. उक्त प्रकार से काटकर लगाई हुई टहनी से उगा हुआ पेड़ या पौधा। मुहा०—कलम करना=किसी चीज का कोई अंग काटकर उससे अलग करना। जैसे—अगर सर को तो यों सरको, कलम कर गो मेरे सर को।—कोई शायर। कलम कराना=कटवा डालना। उदा०—कलम रुकै तो कर कलम कराइए।—कोई कवि। ९. नौसादर, शोरे आदि के जमें हुए छोटे, नुकीले, लंबोतरे टुकड़े या रवे। रवा। केलास। (क्रिस्टल) १॰. दाढ़ी (हजामत) बनाने में कनपटियों पर बालों की वह लम्बी रेखा जो कान के मध्य भाग के पास से काटकर अलग कर दी जाती है और जिसके नीचे गालों पर के बाल मूँड़कर साफ कर दिये जाते हैं। ११. एक प्रकार की बाँसुरी या वंशी। १२. फुलझड़ी नाम की आतिशबाजी जो देखने में लिखने की कलम की तरह होती है।
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कलमकार  : पुं० [फा०] १. कलम की सहायता से किसी प्रकार की कला, शिल्प, आदि की रचना करनेवाला कारीगर या शिल्पी। २. एक प्रकार का बाफ्ता (कपड़ा)।
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कलमकारी  : स्त्री० [फा०] कलम की सहायता से की जानेवाली कारीगरी। जैसे—कागज या बरतन पर बनाये हुए बेल-बूटे आदि।
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कलमख  : पुं० =कल्मष।
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कलमतराश  : पुं० [फा०] वह चाकू या छुरी जिससे मुख्यतः कलमें तराशकर लिखने के योग्य बनाई जाती हैं।
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कलमदान  : [फा०] लकड़ी, लोहे, शीशे आदि का बना हुआ वह आधान जिसमे कलमें तथा दावातें रखी जाती हैं।
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कलमना  : स० [हिं० कलम] कलम करना। काटना। तराशना।
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कलमबंद  : वि० [अ०+फा०] लिखा हुआ। लिखित। पुं० चित्र आदि अंकित करने की कलम या कूँची बनानेवाला कारीगर।
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कलमलना  : अ० [अनु०] १. इधर-उधर से दबने के कारण अंगों का आगे-पीछे हिलना-डोलना। २. बेचैन होना। ३. विचलित होना। घबराना।
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कलमलाना  : अ०=कलमलना।
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कलमस  : पुं०=कल्मष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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कलमा  : पुं० [अ०] १. वाक्य। २. मुँह से निकली हुई कोई बात। वचन। ३. इस्लाम धर्म में मुहम्मद साहब का एक प्रसिद्ध वाक्य (ला इलह इल्लिल्लाह, मुहम्मदुर्रसूलिल्लाह=उस एक ईश्वर के सिवा और कोई ईश्वर या देवता नहीं है; और मुहम्मद साहब उस ईश्वर के रसूल, पैगम्बर या दूत हैं) जो इस्लाम धर्म का मूलमंत्र माना गया है और जिसका शुद्ध हृदय से उच्चारण कर लेने पर यह माना जाता है कि यह आदमी मुसलमान हो गया। मुहा०—कलमा पढ़ना=उक्त वाक्य का विधिपूर्वक उच्चारण करके इस्लाम धर्म का अनुयायी बनना।
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कलमास  : वि० [सं० कल्माष] चितकबरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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कलमी  : वि० [फा०] १. (लेख) जो कलम से लिखा गया हो। हस्तलिखित। (छापे आदि से भिन्न) २. (चित्र) जो कलम या कूची से अंकित किया गया हो। (फोटो, मुद्रण आदि से भिन्न) ३. (पौधा या वृक्ष) जो कहीं से कलम के रूप में काटकर लाया और लगाया गया हो तथा उसमें लगनेवाले फल या फूल। जैसे—कलमी आम, कलमी गुलाब। ४. (रासायनिक पदार्थ) जो कलम या रवे के रूप में जमा या जमाया हुआ हो। जैसे—कलमी शोरा। स्त्री० [सं० कलम्बी] करेमू नाम का साग।
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कलमी शोरा  : पुं० [हिं० कलमी+शोरा] साफ किया हुआ शोरा जो कलमों या रवों के रूप में होता है।
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कलमुँहा  : वि० [हिं० काला+मुँह] १. जिनका मुँह काला हो। काले मुँहवाला। जैसे—कलमुँहा बन्दर=लंगूर। २. जिसके मुँह पर कालिख लगी हो; अर्थात् जिसे कलंक या लांछन लगा हो। ३. अशुभ या अमांगलिक बातें कहनेवाला।
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