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कलश  : पुं० [सं० कल√श् (गति)+ड (बा०)] [स्त्री० अल्प० कलशी] १. घड़ा। गगरा। २. मंदिरों आदि के शिखर पर लगा हुआ वह कँगूरा जो कलश या घड़े के आकार का होता है। ३. ऊपर उठी हुई चीज का सब से ऊपरी भाग। चोटी। सिरा। ४. एक पुरानी तौल जो सेर के लगभग होती थी। द्रोण। ५. नृत्य में एक प्रकार की भंगिमा। ६. हठयोग में आत्मा या हृदय रूपी कमल। ७. एक छंद जो चौपाई और त्रिभंगी अथवा त्रिभंगी और नित्या के मेल से बनता है। वि० सब में श्रेष्ठ। शिरोमणि। उदा०—शुभ सूरज कुल-कलश नृपति दशरथ भये।—केशव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कलशी  : स्त्री० [सं० कलश+ङीष्] १. छोटी कलसी। गगरी। २. छोटा कलश (देखें)। ३. एक प्रकार का पुराना बाजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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