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काट  : स्त्री० [हिं० काटना] १. कैंची, छुरी, तलवार आदि से काटने की क्रिया या भाव। जैसे—तलवार अच्छी काट करती है। पद—काट-कूट, काट-छाँट, मार-काट (दे०)। २. सीये जानेवाले कपड़ों को काटने का विशिष्ट ढंग या प्रकार। कटाव। जैसे—नई काट की कमीज का कुरता। ३. किसी जीव के काटने अथवा किसी वस्तु के लगने से होनेवाला घाव, छरछराहट या जलन। जैसे—बंदर या मच्छर की काट। ४. ऐसी क्रिया या योजना जो किसी के आघात, युक्ति आदि को रोकने या खण्डन करने के लिए की जाय। जैसे—कुश्ती में किसी दाँव-पेंच की काट। ५. ऐसी क्रिया या योजना जो किसी पर आघात या वार करने के लिए की जाय। ६. कपटपूर्ण आचरण, युक्ति या व्यवहार। चालबाजी। ७. किसी वस्तु को आवश्यक या उपयुक्त रूप देने अथवा किसी स्थिति को अपने अनुकूल बनाने के लिए की जानेवाली क्रिया या युक्ति कतर-ब्योंत। ८. वह अंश जो किसी चीज में से कट-छँटकर और किसी प्रकार निकलकर अलग हो गया हो। तरछट। जैसे—एक बोतल तेल में से तनी काट निकली है। ९. गणित में कलम या लकीर से कोई अंक, पद, लेख आदि काटने की क्रिया या भाव। १॰. अंक, लेख आदि को रद करने के लिए खींची जानेवाली लकीर।
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काट-कपट  : पुं० [हिं० काट+कपट] किसी को काटकर अलग-अलग करने अथवा किसी प्रकार की हानि पहुँचाने के लिए की जानेवाली कपटपूर्ण युक्ति।
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काटकी  : स्त्री० [हिं० काट+की] काठ की बनी हुई वह छड़ी जिसे मदारी हाथ में लेकर बंदर, भालू आदि नचाते हैं।
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काट-कूट  : स्त्री० [हिं० काट-कूट अनु] १. किसी चीज विशेषतः लेख आदि में जगह-जगह काटे-छांटे और घटाये-बढ़ाये हुए होने की अवस्था,क्रिया या भाव। जैसे—इस कापी में बहुत जगह काट-कूट हुई है। २. दे०-काट-छाँट।
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काट-छाँट  : स्त्री० [हिं० काटना+छांटना] १. काटने और काटकर छाँटने या निकालने की क्रिया, भाव या ढंग। जैसे—(क) पुस्तक मसौदे या लेख मे होनेवाली काट-छांट। (ख) हिसाब की काट-छाँट। २. ऐसी चीज की बनावट या रचना का ढंग अथवा प्रकार जिसमें प्रायः फालतू अंश काट या छाँटकर अलग किये जाते हों अथवा आवश्यक तथा उपयोगी अंश बचा लिये जाते हों। जैसे—कमीज, कुरते या मूर्ति की काट-छाँट। ३. किसी प्रकार से की जानेवाली कमी-वेशी या घटाव-बढ़ाव।
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काटन  : स्त्री०=कतरन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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काटना  : सं० [सं० कर्त्तन, प्रा० कट्टन] [भाव० कटाई, कटाव] धारदार औजारों, शस्त्रों आदि के प्रसंग में-१. किसी चीज पर इस प्रकार आघात, करना कि वह दो या अधिक टुकड़ों अथवा भागों मे बँटकर अलग हो जाय। जैसे—कुल्हाड़ी से पेड़ या उसकी डालें काटना,तलवार से किसी का सिर या हाथ काटना, छेनी से चाँदी या सोने की सिल काटना आदि। उदाहरण—(क) काटइ निज कर सकल सरीरा।—तुलसी। (ख) छन मँह प्रभु के सायकन्हि काटे विकट विशाच-तुलसी। २. किसी कड़ी या भारी चीज को इस प्रकार दबाना, रगड़ना या रेतना कि किसी चीज के बीच का तल या स्तर कई टुकडों या भागों में बँटकर अलग हो जाय। जैसे—(क) कैंची से कपड़ा या कागज काटना। (ख) हँसिया से घास या फसल काटना। पद—काटो तो खून नहीं=किसी भीषण, लज्जाजनक या विकट परिस्थिति में पड़ने अथवा ऐसी ही कोई बात सुनने पर किसी व्यक्ति का ऐसी दशा में हो जाना कि मानो उसके शरीर में रक्त (अर्थात् जीवन का मूल तत्त्व या लक्षण) रह ही नहीं गया। किसी अनिष्ट घटना या बात के कारण निश्चेष्ट सुन्न या स्तब्ध हो जाना। ४. किसी आधार या तल में इस प्रकार गड्डे या रेखाएँ बनाना कि उनमें से किसी चीज के आने-जाने या निकलने के लिए मार्ग बन जाय अथवा ऐसे ही और कामों के लिए विभाग बन जाएँ। जैसे—किसी प्रदेश में नहर या सड़क काटना, खेत या बगीचे में क्यारियाँ काटना। ५. इधर-उधर से कतर या छाँटकर किसी उद्दिष्ट या उपयोगी रूप में लाना। जैसे—थान में से कुरता या कमीज काटना,झाड़ियों में से मोर,शेर आदि की आकृतियाँ बनाना। (कट,उक्त सभी अर्थों के लिए) जीव—जंतुओं या प्राणियों के प्रसंग में- ६. किसी चीज पर इस प्रकार जोर से दांत गड़ाना कि उसमें का कुछ अंश कटकर अलग हो जाय या मुँह में आ जाय। कुतरना जैसे—बच्चों का दाँतों से फल या रोटी काटना, चूहों का कपड़े या कागज काटना। ७. किसी के शरीर पर उक्त क्रिया इस प्रकार करना कि उसमें क्षत या घाव हो जाय। जैसे—आदमी को कुत्ते या बंदर का काटना। मुहावरा—(किसी को) काटने दौड़ना=बहुत क्रोध में भरकर या खिजला कर इस प्रकार आवेशपूर्ण कटु बातें कहना कि देखनेवाले समझें कि यह जानवरों की तरह काटने पर उतारू है। जैसे—उसका स्वभाव इतना चिड़चिड़ा हो गया है कि वह बात-बात में काटने दौड़ता है। ८. किसी के शरीर में इस प्रकार दांत या डंक गड़ाना या धँसाना कि उसमें जहर भर जाय अथवा जलन या पीड़ा होने लगे। जैसे—खटमल बर्रे, मच्छर या साँप का काटना। ९. कुछ विशिष्ट प्रकार के कीडों-मकोड़ों का कोई चीज कुतरकर खा जाना। जैसे—कीड़े-मकोड़ें का ऊनी या रेशमी कपड़े अथवा पुस्तकों की जिल्द काटना। (बाइट अंतिम चारों अर्थों के लिए) फुटकर प्रसंगों और लाक्षणिक रूपों में- १॰. आगे बढ़ने या मार्ग निकालने के लिए बल या वेग के द्वारा सामनेवाली चीज या तत्त्व इधर-उधर करना या हटाना। जैसे—नदी-नालों का अपने रास्ते में के पहाड़ काटना, नाव का आगे बढ़ने के लिए पानी काटना, हवाई जहाज का उड़ने के समय हवा काटना। ११. दबाव, रगड़ या ऐसी ही और किसी क्रिया से ऐसा जोर पहुँचाना कि कुछ अंश अपने मूल आधार से अलग हो जाय। जैसे—गुड्डी या पतंग लड़ाने में किसी की डोर या नख काटना,घोड़े का बाल बाँधकर शरीर में से मसा काटना। १२. जोर लगाकर इस प्रकार घिसना,पीसना या रगड़ना कि किसी चीज के बहुत ही छोटे-छोटे या बारीक अंश या टुकड़े हो जायँ। जैसे—सिल पर (बट्टे से) भाँग या मसाला काटना। १३. नाम, पद, लेख आदि पर ऐसा चिन्ह्र या रेखा बनाना कि उस क्षेत्र या प्रसंग में उसका कोई अस्तित्व या महत्व न रह जाय अथवा उसका होना न होने के बराबर हो जाय। जैसे—विद्यालय से लड़के का अथवा सूची में से पुस्तक का नाम काटना। १४. किसी क्रिया या प्रकार से कोई अंग या अंश अलग करना या निकाल लेना। जैसे—रेलगाड़ी में से डिब्बा काटना। अनुपस्थिति के कारण नौकर का वेतन काटना। १५. अनुचित अथवा आपत्तिजनक रूप से कहीं से कुछ उड़ा, निकाल या हटा लेना। जैसे—चोरों का रेल के डब्बे में से माल काटना, लुच्चों और शोहदों का रईसों के साथ लगकर माल काटना। मुहावरा—(किसी का) गला काटना=चालाकी या छल-कपट से किसी का धन या संपत्ति लेकर उसे दरिद्र या दीन बनाना। जैसे—हजारों गरीबों का गला काटकर ही तो लोग लखपती और करोड़पती बनते हैं। १६. किसी कठोर,तीक्ष्ण या तीव्र पदार्थ का शरीर में लगकर या उससे रगड़ खाकर उसमें चुन-चुनाहट, छरछराहट या कष्टदायक संवेदन उत्पन्न करना। जैसे—(क) तंग जूता पैर में काटना। (ख) सूरन की तरकारी गला काटती है (अर्थात्) उसमें चुनचुनाहट उत्पन्न करती है। (ग) जाड़ें में ठंडा पानी या ठंढ़ी हवा काटती है। १७. किसी काम चीज या बात का अप्रिय या अरुचिकर होने के कारण बहुत ही कष्टदायक प्रतीत होना। जैसे—परिश्रम का काम तो तुम्हें काटता है। मुहावरा—किसी चीज का काटे खाना=बहुत ही अप्रिय या कष्टदायक जान पड़ना। जैसे—बच्चों के न रहने से घर काटे खाता है। १८. कहीं जमी,बैठी या लगी हुई चीज को किसी प्रकार वहाँ से निकाल या हटाकर अलग या दूर करना। जैसे—साबुन लगाकर कपड़ें का मैल काटना। १९. गुण, प्रभाव, शक्ति आदि से अथवा किसी क्रिया या प्रकार से किसी चीज या बात का अन्त या समाप्ति करना। बिलकुल न रहने देना। जैसे—तीर्थ-यात्रा या देव-दर्शन करके अपने पाप काटना। २॰०चलकर रास्ता पार करना। जैसे—पहले आधा रास्ता तो काट लो,तब बैठकर सुस्ताना। मुहावरा—चक्कर काटना=(क) किसी घेरे या परिधि में बार-बार घूमना। (ख) बार-बार कहीं जाना और वहाँ से आना। जैसे—महीनों से उनके यहाँ चक्कर काट रहे हैं पर वे कुछ सुनते ही नहीं। २१. कष्टपूर्वक या जैसे—तैसे दिन (अथवा समय) बिताना। जैसे—(क) इधर-उधर की बातों में सारा दिन काटना। (ख) गरीबी में समय काटना। (ग) कारागार या जेल में सारी उमर काटना। २२. एक रेखा के ऊपर से किसी भिन्न दिशा से दूसरी रेखा इस प्रकार ले जाना कि दोनों के मिलन-बिंदु के चारों ओर कोण बन जाएँ। जैसे—(ज्यामिति में) एक रेखा से दूसरी रेखा काटना। २३. किसी रास्ते पर से या सामने से (रेखा बनाते हुए) निकल जाना। (अमांगलिक या अशुभ सूचक) जैसे—यात्रा के समय किसी काने आदमी या बिल्ली का आकर रास्ता काटना। मुहावरा—किसी का रास्ता काटना=किसी की गति या मार्ग में बाधक होना। रुकावट डालना। (किसी की) बात काटना=जब कोई कुछ कह रहा हो,तब बीच में बोलकर उसकी बात में बाधक होना। जैसे—जब कोई बोल रहा हो तब बीच में उसकी बात काटकर बोलने लगना अच्छा नहीं होता। २४. किसी के कथन, मत, विचार या सिद्धांत को अप्रामाणिक या असत्य सिद्ध करके उसका खंडन करना। अमान्य ठहराना या बतलाना। जैसे—आपकी नई खोज ने तो अब तक के सभी मत काट दिये हैं। २५. गणित में किसी छोटी संख्या से किसी बड़ी संख्या को भाग देना कि शेष कुछ न बचे। जैसे—२५ को ५ या ४॰ को ८ से काटना।
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काट-फाँस  : स्त्री० [हिं० काटना+फाँसना या फँसाना] १. किसी को काटकर अलग करने और किसी को फँसाकर अपने वश में लाने की क्रिया या भाव। २. कपट-पूर्ण युक्तियाँ। कतर-ब्योतं। चाल-बाजी। ३. लोगों को आपस में लड़ाने आदि के लिए चली जानेवाली चालें या की जानेवाली युक्तियाँ।
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काटर  : वि० [सं० कठोर] १. कड़ा। कठोर। २. कट्टर। वि० [हिं० काटना] काटनेवाला। काटू।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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काटुक  : पुं० [सं० कटुक+अण्] १. अम्लता। खटास। २. कटुता। कडुआपन।
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काटू  : वि० [हिं० काटना] १. (पशु) काट खानेवाला। २. (व्यक्ति) जो हर बात में काटने को दौड़े। चिड़िचड़ा। ३. डरावना। भयानक। पुं० [अं० कैश्यूनट] हिजली बदाम नाम का वृक्ष।
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