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कौशल  : पुं० [सं० कुशल+अण्] १. कुशल होने की अवस्था या भाव। २. ठीक तरह के काम करने की योग्यता या समर्थता। ३. युक्तिपूर्वक अपना काम निकालने का ढंग। छल-बल से काम साधने का गुण। ४. कोशल प्रदेश का निवासी। वि० कोशल देश का।
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कौशल-बाध  : पुं० [सं० ष० त०] कार्यालयों की या राजकीय सेवा में उन्नति के मार्ग में वह बंधन जो अपना काम कुशलतापूर्वक करके पार करना पड़ता है। (एफिशिएन्शी बार)।
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कौशलिक  : पुं० [सं० कुशल+ठक्-इक] घूस। रिश्वत।
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कौशलिका  : स्त्री० [सं० कौशलिक+टाप्]=कौशली।
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कौशली  : स्त्री० [सं० कौशल+ङीष्] १. मित्रों से किया जानेवाला कुशल प्रश्न। २. उपहार। भेंट। वि० [सं०] अनेक प्रकार के कौशल जानने और करनेवाला।
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कौशलेय  : पुं० [सं० कौशल्या+ढक्-एय] कौशल्या के पुत्र, रामचंद्र।
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कौशल्य  : पुं० [सं० कुशल+ष्यञ्]=कौशल।
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कौशल्या  : स्त्री० [सं० कौशल+ष्यञ्-टाप्] १. कौशल के महाराज दशरथ की पत्नी तथा भगवान राम की माता। २. पुरुराज की स्त्री तथा जनमेजय की माता। ३. धृतराष्ट् की माता। ४. पंचमुखी आरती।
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कौशल्यायनि  : पुं० [सं० कौशल्या+फिञ्-आयन] कौशल्या के पुत्र, रामचंद्र।
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