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चाँदी  : स्त्री० [हिं० चाँदनी] १. एक प्रसिद्ध सफेद चमकीली कीमती धातु जो अपेक्षया नरम होती है और जिसके गहने, बरतन, सिक्के आदि बनते हैं। इसका गुरुत्व सोने के गुरुत्व का आधा होता है। इससे कई एक ऐसे क्षार बनाये जाते हैं जिन पर प्रकाश का प्रभाव बहुत विलक्षण पड़ता है। रजत। रौप्य। मुहावरा–चाँदी कर डालना या कर देना=जलाकर राख कर डालना। (गाँजे, तमाकू आदि की भरी हुई चिलम के संबंध में प्रयुक्त) २.चाँदी के सिक्को के आधार पर धन-संपत्ति। दौलत। मुहावरा–चाँदी बरसना=खूब आमदनी होना। चाँदी काटना=प्रायः अनुचित रूप से खूब रूपया पैदा करना। खूब धन कमाना। चाँदी की ऐनक लगाना=घूस या रिश्वत लेकर ही किसी का काम करना। जैसे–हमारे तहसीलदार साहब चाँदी की ऐनक लगाते हैं। (किसी की) चाँदी होना=बहुत अधिक आय या आर्थिक लाभ होना। पद-चाँदी का जूता=वह धन जो किसी को अपने अनुकूल या वश में करने को दिया जाता है। घूस या रिश्वत के रूप में दिया जानेवाला धन। चांदी का पहरा=आर्थिक दृष्टि से पूर्णता, सुख-समृद्धि के दिन। ३. खोपड़ी का मध्य भाग। चांद। चँदिया। मुहावरा–चाँदी खुलवानाचाँद के ऊपर के बाल मुड़ाना। ४. एक प्रकार की छोटी मछली। ५. चूने की सफेदी। (क्व०) ६. सफेद रंग अथवा सफेद रंग की कोई वस्तु। ७. जल जाने पर किसी चीज की होनेवाली सफेद राख। जैसे–तमाकू जलकर चांदी हो गया।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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