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छेक  : पुं०=छेद। (पश्चिम)। पुं० [सं०√छो (काटना)+डेकन्] १. पालतू पशु-पक्षी। २. शब्दालंकार का एक भेद। छेकानुप्रास। वि० १. पालतू। २. नागरिक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छेकानुप्रास  : पुं० [सं० छेक-अनुप्रास, कर्म० स०] कवित्त में एक प्रकार का अनुप्रास जिससे एक ही चरण में दो या अधिक वर्णों की आवृत्ति कुछ अन्तर पर होती है।
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छेकापहनुति  : स्त्री० [सं० छेक-अपह्रुति ष० त०] साहित्य में अपह्रुति अलंकार का एक भेद जिसमें किसी से कही जानेवाली कोई भेद की बात किसी तीसरे या अनभीष्ट व्यक्ति के सुन लेने पर कोई दूसरी बात बनाकर वह भेद छिपाने का उल्लेख होता है। ‘कह मुकरी’ या मुकरी में यही अलंकार होता है।
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छेकोक्ति  : स्त्री० [सं० छेक-उक्ति, ष० त०] साहित्य में एक अलंकार जिसमें कोई बात सिद्ध करने के लिए उसके साथ किसी लोकोक्ति या कहावत का भी उल्लेख किया जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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