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छेव  : पुं० [सं० क्षेप] १. किसी वस्तु के तल का कुछ अंश काटने या छीलने की क्रिया या भाव। २. कुछ विशिष्ट अंशों का रस निकालने के लिए उनके तने का कुछ अंश काटने या छीलने की क्रिया या भाव। क्रि० प्र०–लगाना। ३. प्रहार। वार। ४. चोट। घाव। ५. नाश। ६. मृत्यु। ७. विपत्ति। संकट। ८. कपटपूर्ण व्यवहार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छेवना  : स० [सं० छेव] १. किसी चीज में छेव लगाना। २. आघात, प्रहार या वार करना। ३. चोट पहुँचाना। ४. कष्ट आदि झेलना या सहना। जैसे–अपने जी पर छेवना (अर्थात् मन ही मन कष्ट सहना या दुःखी होना) उदाहरण–जो अंस कोई जिय पर छेवा।–जायसी। ५. फेंकना। स्त्री० ताड़ी जो ताड़ के वृक्ष में छेव लगाकर निकाली जाती है। स० [हिं० छेदना] १. काटना २. चिन्ह लगाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छेवला  : पुं० [?] पलाश का वृक्ष। (बुदेल०)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छेवा  : पुं० [हिं० छेव] १. छीलने काटने आदि का काम। २. काटने, छीलने आदि से पड़ा हुआ निशान। ३. महाजनी बहीखाते में वह चिन्ह जो कहीं से लौटी हुई चीज या रकम के लेख पर यह सूचित करने के लिए लगाया जाता है कि अब वह प्राप्य नहीं रह गई। ४. पानी के तेज बहाव (मल्लाह)। पुं०–छेद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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