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झेल  : स्त्री० [हिं० झेलना] १. झेलने की क्रिया या भाव। २. हलका और सुखद आघात, धक्का या हिलोरा। ३. तैरने के समय पानी हटाने के लिए हाथ-पैर चलाने की क्रिया या भाव। स्त्री०=झेर (देर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
झेलना  : स० [सं०√जल्=घेरकर फँसाना] १. कठिन या विकट परिस्थिति आने या प्रसंग पड़ने पर उससे पार पाने के लिए धैर्य और साहस पूर्वक तत्संबंधी कष्ट सहना। विपत्तियों आदि से न घबराते हुए या उनकी परवाह न करते हुए उन्हें बरदाश्त या सहन करना। जैसे–(क) इतने बड़े परिवार का पालन करने में उन्हें बड़े-बड़े कष्ट झेलने पड़े। (ख) यहाँ तक आने में हम रास्ते में कमर और छाती तक पानी झेलना पड़ा। २. लाक्षणिक रूप में, शुभ और सुखद परिस्थितियों का आनन्द लेते हुए भोग करना। उदाहरण–बाल केलि को विशद परम सुख सुख समुद्र नृप झेलत।–सूर। ३. उचित ध्यान देते हुए ग्राह्य या मान्य करना। कोई बात सुनकर मान लेना। उदाहरण–पायन आनि परे तो परे रहे, केतों करी मनुहार न झेली।–मतिराम। ४. (कोई चीज या बात) हजम करना। पचाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
झेलनी  : स्त्री० [हिं० झेलना] वह जंजीर जो गहनों आदि में उनका भार सँभालने अथवा उन्हें यथास्थान ठहराये रखने के लिए उनमें लगी रहती है और जिसका दूसरा सिरा ऊपर कहीं अटकाया या खोंसा जाता है। जैसे–नथ या बाली की झेलनी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
झेली  : स्त्री० [हिं० झेलना] प्रसव के समय प्रसूत स्त्री को विशेष प्रकार से हिलाने-डुलाने की क्रिया। क्रि० प्र०–देना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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