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ढलना  : अ० [हिं० ढालना का अ०] १. द्रव पदार्थ का नीचे की ओर गिरना या गिराया जाना। जैसे–बोतल की दवा गिलास में ढलना। २. साँचे में किसी पिघले हुए पदार्थ का, उसे कोई विशेष आकार,-प्रकार देने के लिए उँड़ेला या डाला जाना। ३. उक्त प्रकार से पिघले हुए पदार्थ का साँचे में जम या ठंढ़ा होकर ठोस रूप धारण करना। जैसे–मूर्ति ढलना। ४. अवनति या ह्रास अथवा अंत या समाप्ति की ओर बढ़ना। जैसे–उमर या जवानी ढलना, दिन ढलना। ५. ग्रह, नक्षत्र आदि के संबंध में, अस्त होने पर आना। जैसे–चांद या सूर्य का ढलना। पद–ढलती फिरती छाँह-ऐसी स्थिति जो कभी बिगड़ती और कभी सुधरती हो। ६. समय का बीतने को होना। जैसे–अवधि ढलना। ७. दया, प्रेम आदि के वश में होकर किसी ओर अनुरक्त या प्रवृत्त होना। जैसे–भगवान का भक्तों पर ढलना। ८. विशिष्ट रूप से केवल मद्य के संबंध में, पीने के लिए पात्र में उँडेला जाना। जैसे–बोतल या शराब ढलना। ९. लुढ़कना। १॰. दे० ‘ढुलना’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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