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ढार  : पुं० [सं० धार] १. पथ। मार्ग। रास्ता। २. ढंग। प्रकार। ३. ढाँचा। ४. वस्तुएँ ढालने का साँचा। ५. साँचे में ढाली हुई वस्तु। ६. रचना। बनावट। ७. दे० ‘ढरनि’। स्त्री० १. कान में पहनने का बिरिया नाम का गहना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) २. हाथ में पहनने की पिछेले। स्त्री०=ढाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ढारना  : स०१=ढालना। २.=डालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ढारस  : पुं० [सं० धूष् या दाढर्य ?] १. किसी दुःखी निराश या हतोत्साह व्यक्ति के प्रति कही जानेवाली ऐसी आशामय बात जिससे उसके मन में पिर से कुछ उत्साह या धैर्य का संचार हो। आश्वासन। क्रि० प्र०–देना।–बँधाना। २. कष्ट, विपत्ति आदि के समय भी मन में बना रहनेवाला साहस या हिम्मत। ३. मन या विचार की दृढता (क्व०)।
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ढारा  : वि० [हिं० ढारना] ढारने अर्थात् ढालनेवाला। उदाहरण–-रखेउ छात चँवर औ ढार।–जायसी।
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