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परीक्षा  : स्त्री० [सं० परि√ईक्ष्+अ+टाप्] १. किसी के गुण, धैर्य, योग्यता, सामर्थ्य आदि की ठीक-ठीक स्थिति जानने या पता लगाने की क्रिया या भाव। (एग्जामिनेशन) २. वह समुचित उपाय, विधि या साधन जिससे किसी के गुणों आदि का पता लगाया जाता है। ३. वस्तुओं के संबंध में, उनकी उपयोगिता, टिकाऊपन आदि जानने के लिए उनका उपयोग या व्यवहार किया जाना। जैसे—हमारे यहाँ अमुक वस्तुएँ मिलती हैं, परीक्षा प्रार्थित है। ४. वह प्रक्रिया जिससे प्राचीन न्यायालय किसी अभियुक्त अथवा साक्षी के सच्चे या झूठे होने का पता लगाते थे। विशेष दे० ‘दिव्य’। ५. जाँच—पड़ताल। ६. देख-भाल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परीक्षार्थ  : अव्य० [सं० परीक्षा-अर्थ, नित्य स०] परीक्षा के उद्देश्य से।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परीक्षार्थी (र्थिन्)  : पुं० [सं० परीक्षा√अर्थ (चाहना)+ णिनि] १. वह जो किसी प्रकार की परीक्षा देना चाहता हो। २. वह जिसकी परीक्षा ली जा रही हो अथवा जो परीक्षा दे रहा हो। (एग्ज़ामिनी)
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परीक्षा  : स्त्री० [सं० परि√ईक्ष्+अ+टाप्] १. किसी के गुण, धैर्य, योग्यता, सामर्थ्य आदि की ठीक-ठीक स्थिति जानने या पता लगाने की क्रिया या भाव। (एग्जामिनेशन) २. वह समुचित उपाय, विधि या साधन जिससे किसी के गुणों आदि का पता लगाया जाता है। ३. वस्तुओं के संबंध में, उनकी उपयोगिता, टिकाऊपन आदि जानने के लिए उनका उपयोग या व्यवहार किया जाना। जैसे—हमारे यहाँ अमुक वस्तुएँ मिलती हैं, परीक्षा प्रार्थित है। ४. वह प्रक्रिया जिससे प्राचीन न्यायालय किसी अभियुक्त अथवा साक्षी के सच्चे या झूठे होने का पता लगाते थे। विशेष दे० ‘दिव्य’। ५. जाँच—पड़ताल। ६. देख-भाल।
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परीक्षार्थ  : अव्य० [सं० परीक्षा-अर्थ, नित्य स०] परीक्षा के उद्देश्य से।
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परीक्षार्थी (र्थिन्)  : पुं० [सं० परीक्षा√अर्थ (चाहना)+ णिनि] १. वह जो किसी प्रकार की परीक्षा देना चाहता हो। २. वह जिसकी परीक्षा ली जा रही हो अथवा जो परीक्षा दे रहा हो। (एग्ज़ामिनी)
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