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पहाड़  : पुं० [सं० पाषाण] [स्त्री० अल्पा० पहाड़ी] १. पृथ्वी तल के ऊपर प्राकृतिक रूप से उठा या उभरा हुआ वह बहुत बड़ा अंश जो प्रायः चूने, पत्थर, मिट्टी आदि की बड़ी-बड़ी चट्टानों से बना होता है और जिसका तल प्रायः असम या ऊबड़-खाबड़ रहता है। पर्वत। मुहा०—पहाड़ खोदकर चूहा निकालना=बहुत अधिक परिश्रम करके बहुत ही तुच्छ परिणाम तक पहुँचना। २. किसी वस्तु का बहुत बड़ा और भारी ढेर। बहुत ऊँची राशि या ढेर। जैसे—पहले बाजारों में अनाज के बोरों के पहाड़ लगे रहते थे। ३. पत्थरों की ढेर की तरह की कोई बहुत बड़ी या भारी चीज या बात अथवा कोई बहुत ही विकट काम या स्थिति। जैसे—(क) मुझे पत्र लिखना तो पहाड़ हो जाता है। (ख) तुम्हें तो मामूली काम भी पहाड़ मालूम होता है। मुहा०—पहाड़ उठाना=कोई बहुत बड़ा, भारी या विकट काम अपने ऊपर लेना या पूरा कर दिखाना। पहाड़ काटना=(क) बहुत ही कठिन या विकट काम कर डालना। (ख) किसी प्रकार कोई बहुत बड़ी विपत्ति या संकट दूर करना। (किसी पर) पहाड़ टूटना या टूट पड़ना=अचानक कोई बहुत बड़ी विपत्ति आना। जैसे—उस पर तो आफत का पहाड़ टूट पड़ा है। पहाड़ से टक्कर लेना=अपने से बहुत अधिक बलवान व्यक्ति या शक्तिशाली से प्रतियोगिता करना या वैर उठाना। बहुत जबरदस्त या बहुत बड़े से भिड़ना। ४. कोई ऐसा कठिन या विकट कार्य, वस्तु या स्थिति जिसका निर्वाह बहुत ही कठिन हो अथवा सहज में जिससे छुटकारा या निस्तार न हो सके। जैसे—पहाड़ की तरह विवाह के योग्य चार-चार लड़कियाँ उसके सामने बैठी थीं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहाड़ा  : पुं० [सं० प्रस्तार या क्रमात् पहाड़ की तरह ऊँचे होते जाने का क्रम] १. किसी अंक के गुणनफलों के क्रमात् आगे बढ़ती चलनेवाली संख्याओं की स्थिति। जैसे—तीन एकम तीन, तीन दूनी छः; तीन तियाँ नौ, तीन चौके बारह आदि। २. उक्त प्रकार की क्रमात् बढ़ती रहनेवाली संख्याओं की सूची। गुणन-सारणी। (मल्टिप्लिकेशन टेबुल) जैसे—पहाड़े की पुस्तक। क्रि० प्र०—पढ़ना।—पढ़ाना।—लिखना।—लिखाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहाड़िया  : वि०=पहाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहाड़ी  : वि० [हिं० पहाल+ई (प्रत्य०)] १. पहाड़-संबंधी। जैसे—पहाड़ी रास्ता। २. पहाड़ पर मिलने, रहने या होनेवाला। जैसे—पहाड़ी वृक्ष, पहाड़ी व्यक्ति। ३. जिसमें पहाड़ हो। जैसे—पहाड़ी देश। ४. पहाड़ पर रहनेवाले लोगों से संबंध रखनेवाला। जैसे—पहाड़ी पहनावा, पहाड़ी बोली। पं० १. पहाड पर रहनेवाले व्यक्ति। जैसे—आज-कल शहर में बहुत से पहाड़ी आये हुए हैं। २. एक प्रकार का बड़ा खीरा। स्त्री० १. छोटा पहाड़। २. काँगड़े, कुमाऊँ, गढ़वाल आदि पहाड़ी प्रदेशों की बोलियों का वर्ग या समूह। ३. भारत के उत्तर-पश्चिमी पहा़ड़ों में गाई जानेवाली एक प्रकार की धुन या संगीत-प्रणाली। ४. संगीत में, संपूर्ण जाति की एक रागिनी जो साधारणतः रात के पहले या दूसरे पहर में गाई जाती है। ५. एक सुगंधित वनस्पति।
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पहाड़  : पुं० [सं० पाषाण] [स्त्री० अल्पा० पहाड़ी] १. पृथ्वी तल के ऊपर प्राकृतिक रूप से उठा या उभरा हुआ वह बहुत बड़ा अंश जो प्रायः चूने, पत्थर, मिट्टी आदि की बड़ी-बड़ी चट्टानों से बना होता है और जिसका तल प्रायः असम या ऊबड़-खाबड़ रहता है। पर्वत। मुहा०—पहाड़ खोदकर चूहा निकालना=बहुत अधिक परिश्रम करके बहुत ही तुच्छ परिणाम तक पहुँचना। २. किसी वस्तु का बहुत बड़ा और भारी ढेर। बहुत ऊँची राशि या ढेर। जैसे—पहले बाजारों में अनाज के बोरों के पहाड़ लगे रहते थे। ३. पत्थरों की ढेर की तरह की कोई बहुत बड़ी या भारी चीज या बात अथवा कोई बहुत ही विकट काम या स्थिति। जैसे—(क) मुझे पत्र लिखना तो पहाड़ हो जाता है। (ख) तुम्हें तो मामूली काम भी पहाड़ मालूम होता है। मुहा०—पहाड़ उठाना=कोई बहुत बड़ा, भारी या विकट काम अपने ऊपर लेना या पूरा कर दिखाना। पहाड़ काटना=(क) बहुत ही कठिन या विकट काम कर डालना। (ख) किसी प्रकार कोई बहुत बड़ी विपत्ति या संकट दूर करना। (किसी पर) पहाड़ टूटना या टूट पड़ना=अचानक कोई बहुत बड़ी विपत्ति आना। जैसे—उस पर तो आफत का पहाड़ टूट पड़ा है। पहाड़ से टक्कर लेना=अपने से बहुत अधिक बलवान व्यक्ति या शक्तिशाली से प्रतियोगिता करना या वैर उठाना। बहुत जबरदस्त या बहुत बड़े से भिड़ना। ४. कोई ऐसा कठिन या विकट कार्य, वस्तु या स्थिति जिसका निर्वाह बहुत ही कठिन हो अथवा सहज में जिससे छुटकारा या निस्तार न हो सके। जैसे—पहाड़ की तरह विवाह के योग्य चार-चार लड़कियाँ उसके सामने बैठी थीं।
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पहाड़ा  : पुं० [सं० प्रस्तार या क्रमात् पहाड़ की तरह ऊँचे होते जाने का क्रम] १. किसी अंक के गुणनफलों के क्रमात् आगे बढ़ती चलनेवाली संख्याओं की स्थिति। जैसे—तीन एकम तीन, तीन दूनी छः; तीन तियाँ नौ, तीन चौके बारह आदि। २. उक्त प्रकार की क्रमात् बढ़ती रहनेवाली संख्याओं की सूची। गुणन-सारणी। (मल्टिप्लिकेशन टेबुल) जैसे—पहाड़े की पुस्तक। क्रि० प्र०—पढ़ना।—पढ़ाना।—लिखना।—लिखाना।
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पहाड़िया  : वि०=पहाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहाड़ी  : वि० [हिं० पहाल+ई (प्रत्य०)] १. पहाड़-संबंधी। जैसे—पहाड़ी रास्ता। २. पहाड़ पर मिलने, रहने या होनेवाला। जैसे—पहाड़ी वृक्ष, पहाड़ी व्यक्ति। ३. जिसमें पहाड़ हो। जैसे—पहाड़ी देश। ४. पहाड़ पर रहनेवाले लोगों से संबंध रखनेवाला। जैसे—पहाड़ी पहनावा, पहाड़ी बोली। पं० १. पहाड पर रहनेवाले व्यक्ति। जैसे—आज-कल शहर में बहुत से पहाड़ी आये हुए हैं। २. एक प्रकार का बड़ा खीरा। स्त्री० १. छोटा पहाड़। २. काँगड़े, कुमाऊँ, गढ़वाल आदि पहाड़ी प्रदेशों की बोलियों का वर्ग या समूह। ३. भारत के उत्तर-पश्चिमी पहा़ड़ों में गाई जानेवाली एक प्रकार की धुन या संगीत-प्रणाली। ४. संगीत में, संपूर्ण जाति की एक रागिनी जो साधारणतः रात के पहले या दूसरे पहर में गाई जाती है। ५. एक सुगंधित वनस्पति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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