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पितर  : पुं० [सं० पितृ, पितर] किसी व्यक्ति की दृष्टि से उसके वे पूर्वज जो स्वर्ग सिधार गये हों। परलोकवासी पूर्वज। कर्मकाण्ड के अनुसार इनके नाम पर श्राद्ध, तर्पण, आदि कृत्य किये जाते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पितरपख  : पुं०=पितृपक्ष।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पितरपति  : पुं० [सं० पितृपति] यमराज।
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पितराई  : स्त्री०=पितरायँध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पितरायँध  : स्त्री० [हिं० पीतल+गंध] पीतल के बरतन में किसी पदार्थ विशेषतः किसी खट्टे पदार्थ के पड़े रहने तथा विकारयुक्त होने पर निकलनेवाली गंध जो अप्रिय होती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पितरिहा  : वि० [हिं० पीतल+हा] १. पीतल-संबंधी। पीतल का। २. पीतल का बना हुआ। पुं० पीतल का घड़ा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पितर  : पुं० [सं० पितृ, पितर] किसी व्यक्ति की दृष्टि से उसके वे पूर्वज जो स्वर्ग सिधार गये हों। परलोकवासी पूर्वज। कर्मकाण्ड के अनुसार इनके नाम पर श्राद्ध, तर्पण, आदि कृत्य किये जाते हैं।
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पितरपख  : पुं०=पितृपक्ष।
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पितरपति  : पुं० [सं० पितृपति] यमराज।
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पितराई  : स्त्री०=पितरायँध।
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पितरायँध  : स्त्री० [हिं० पीतल+गंध] पीतल के बरतन में किसी पदार्थ विशेषतः किसी खट्टे पदार्थ के पड़े रहने तथा विकारयुक्त होने पर निकलनेवाली गंध जो अप्रिय होती है।
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पितरिहा  : वि० [हिं० पीतल+हा] १. पीतल-संबंधी। पीतल का। २. पीतल का बना हुआ। पुं० पीतल का घड़ा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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