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प्राकृत  : वि० [सं० प्रकृति+अण्] [भाव० प्राकृतत्व] १. प्रकृति संबंधी। प्रकृति का। २. प्रकृति से उत्पन्न। नैसर्गिक। ३. जो अपने उसी मूल रूप में हो, जिसमें प्रकृति ने उसे उत्पन्न किया हो। ४. भौतिक। ५. लौकिक। सांसारिक। ६. स्वाभाविक। ७. साधारण। मामूली। ८. प्रांतीय। ९. अशिक्षित। १॰. क्षुद्र, तुच्छ या नीच। स्त्री० १. किसी विशिष्ट क्षेत्र या प्रांत के लोगों की बोल-चाल की भाषा जो छोटे-बड़े, शिक्षित-अशिक्षित सभी प्रकार के लोग सामान्य रूप से आपस के नित्य के व्यवहारों में बोलते हों। यह उच्च और शिक्षित समाज की परिष्कृत या संस्कृत भाषा से भिन्न होती है। २. उक्त प्रकार की वह विशिष्ट भाषा जो भारत के प्राचीन आर्य लोग बोलते थे और जिसका संस्कार करके शिक्षित समाज तथा साहित्यक रचनाओं के लिए बाद में संस्कृत भाषा बनाई गई थी। विशेष—(क) यों तो वैदिक युग में भी अपने समय की प्राकृत भाषा ही बोलते थे, परन्तु स्वतंत्र भाषा के रूप में ‘प्राकृत’ का नामकरण संस्कृत भाषा बन जाने पर ही और उससे पाथक्य दिखलाने के लिए हुआ था। (ख) आज-कल संकुचित अर्थ में पालि, प्राकृति और अपभ्रंश को क्रमशः प्राकृत के आरंभिक, मध्यकालीन और उत्तरकालीन रूप माना जाने लगा है। मागधी, अर्धमागधी, पैशाची, शौरसेनी, महाराष्ट्री आदि इसी के बाद के साहित्यिक रूप हैं। इन भाषाओं में भी किसी समय प्रचुर साहित्य प्रस्तुत होता था, जिसका बहुत-सा अंश अब भी अनेक स्थानों में मिलता है। ४. पराशर मुनि के मत से बुधग्रह की सात प्रकार की गतियों में पहली और उस समय की गति जब वह स्वाती, भरणी और कृत्तिका नक्षत्रों में रहता है। यह गति चालीस दिनों तक रहती है।
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प्राकृत ज्वर  : पुं० [कर्म० स०] वैद्यक के अनुसार वह ज्वर जो ऋतु के प्रभाव से वर्षा, शरद और वसन्त ऋतुओं में होता है; और जिसमें क्रमात वात, पित्त और कफ का प्रकोप होता है।
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प्राकृतत्व  : पुं० [सं० प्राकृत+त्व] प्राकृत होने की अवस्था, धर्म या भाव।
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प्राकृत-प्रलय  : पं० [कर्म० स०] वेदांत के अनुसार अर्थात् प्रलय का वह उग्र रूप जिसमें तीनों लोकों के सिवा महतत्त्व अर्थात प्रकृति के पहले और मूल विकार तक का क्षय या विनाश हो जाता है; और प्रकृति भी ब्रह्म में लीन हो जाती है।
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प्राकृतिक  : वि० [सं० प्रकृति+ठञ्—इक] १. प्रकृति से उद्भूत। नैसर्गिंक। २. प्रकृति में होनेवाले किसी विकार के फलस्वरूप होनेवाला। ३. मनुष्य की प्रकृति या स्वाभाव से संबंध रखनेवाला। ४. मानुषिक भावों, गुणों, स्वभावों आदि के अनुसार होनेवाला; फलतः जो कृत्रिम अथवा क्रूर न हो। जैसे—(क) स्त्री पुरुष में होनेवाला प्रेम का प्राकृतिक बन्धन। (ख) प्राकृतिक, हास। ५. प्रकृति। आवश्यकता आदि के फलस्वरूप स्वाभाविक रूप से जो आदिकाल से उपयोग में चला आ रहा हो। जैसे—हिंसक जीवों के लिए आमिष प्राकृतिक भोजन है। ६. साधारण। मामूली। ७. भौतिक। ८. सांसारिक। ९. नीच।
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प्राकृतिक चिकित्सा  : स्त्री० [सं० कर्म० स०] चिकित्सा का एक प्रकार, जिसमें रोगों का निदान प्राकृतिक उपायों से किया जाता है। (नेचर क्योर)
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प्राकृतिक भूगोल  : पुं० [सं० कर्म० स०] भूगोल विद्या का वह अंग जिसमें प्राकृतिक तत्त्वों का तुलनात्मक दृष्टि से विचार होता है। इसमें पृथ्वी-तल की वर्तमान तथा भिन्न-भिन्न प्राकृतिक अवस्थाओं का विचार होता है।
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