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शब्द का अर्थ

फंद  : पुं० [हिं० फंदा] १. फंदा। २. जाल। पाश। ३. किसी को फँसाने के लिए उसके साथ किया जाने वाला छल या धोखा। ४. फंदे में फँसने पर होनेवाला कष्ट। ५. कष्ट दुख। ६. मर्म। रहस्य। ७. नथ की काँटी को फँसाने का फंदा। गूँज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
फंदना  : अ० [हिं० फंदा] १. फंदे अर्थात् जाल में फँसना। २. किसी के धोखे में आना। ३. मुग्ध होना। स० १. फंदा या जाल बिछाना। २. फंदे में फँसाना। स०=फाँदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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फंदरा  : पुं० =फंदा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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फंदवार  : वि० [हिं० फंदा+वार (प्रत्यय)] १. फाँदने अर्थात् पंदे या जाल में दूसरों को फँसानेवाला। २. फंदा बिछानेवाला।
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फंदा  : पुं० [सं० पाश या बंधन] १. रस्सी आदि में एक विशेष प्रकार की गाँठ लगाकर बनाया जानेवाला घेरा जो किसी को फँसाकर रखने या बाँधने केकाम आता है। जैसे—(क) कुएँ से पानी निकालने के समय घड़े के गले में लगाया जानेवाला फंदा। (ख) फाँसी पर लटकाने के लिए अभियुक्त के गले में डाला जानेवाला उक्त प्रकार का घेरा। क्रि० प्र०—देना।—बनाना।—लगाना। पद—फंदेदार। (दे०) २. कोई ऐसी कपटपूर्ण बात या योजना जिसका मुख्य उद्देश्य किसी को फँसाना होता है। ३. रस्सियों आदि का बुना हुआ जाल। मुहावरा—फंदा लगाना=किसी को फँसाने के लिए छलपूर्ण आयोजन या युक्ति करना। (किसी के) फंदे में पड़ना या फँसना=किसी के जाल या धोखे में फँसना। ४. कोई ऐसी बात जिसमें पड़कर मनुष्य विवश हो जाता और कष्ट भोगता हो। ५. कुछ खाने या पीने के समय, अचानक हँसने आदि के कारण खाद्य या पेय पदार्थ का गले में इस प्रकार अटक या रुक जाना कि आदमी बोल न सके। उदाहरण—किसी ने रूमाल में हँसी रोकी तो किसी के गले मे चाय का फंदा पड़ गया। अजीम बेग चगताई।
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फँदाना  : स० [हिं० फंदना] ऐसा काम करना जिससे कोई फंदे में जा फँसे। स० [हिं० फाँदना] किसी को फाँदने में प्रवृत्त करना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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फँदावना  : स०=फँदाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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फंदेदार  : वि० [हिं०+फा०] जिसमें पंदा लगा या बना हो। पुं० अंकन, सीयन आदि में ऐसी रचना जिसमें एक कड़ी या लड़ के अन्तिम सिरे से कुछ पहले ही दूसरी कड़ी या लड़ का पहला सिरा आरम्भ होता है।
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फंदैत  : पुं० [हिं० फंदा+ऐत(प्रत्यय)] १. वह जो फंदा डालकर या जाल बिछाकर पशु-पक्षियों को फँसाता हो। बहेलिया। व्याध। २. वह पालतू तथा सिखाया हुआ पशु जो अपनी जाति के अन्य पशुओं को जाल में फँसाता है। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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