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मुंडा  : वि० [सं० मुंडित] [स्त्री० मुंडी] १. जिसके सिर पर बाल न हो। २. जिसका सिर मुँड़ा हुआ हो। पुं० १. वह जो सिर मुँड़ाकर किली साधु या संन्यासी का शिष्य हो गया हो। २. ऐसा पशु जिसके सींग होने चाहिए, पर न हों। जैसे—मुंडा बैल। ३. वह जिसके ऊपर या इधर-उधर फैलनेवाले अंग न हों। जैसे—मुंडा पेड़। ४. बालक। लड़का। (पश्चिम)। ५. कोठीवाली महाजनी लिपि जिसके अक्षरों पर शीर्ष-रेखा तथा आगे-पीछे मात्राएँ नहीं होती। ६. एक प्रकार का देशी जूता जिसमें आगे की ओर नोक नहीं होती। ७. कराँकल से कुछ बड़ा एक प्रकार का पक्षी जिसका सिर और गरदन काली तथा बिना बालों की होती है। यह धान के खेतों में मेढ़कों की तलाश में किसानों के हल के इतने पास चलता है वे परिहास में इसे ‘हर जोता’ भी कहते हैं। पुं० [?] एक प्राचीन अनार्य जन-जाति जिसके वंशज अब तक पलामू, राँची, हजारीबाग आदि स्थानों में पाये जाते हैं। स्त्री० भाषा-विज्ञान के अनुसार कुछ विशिष्ट अनार्य बोलियों का एक वर्ग जिसके अन्तर्गत पंजाब के उत्तरी भाग से न्यूजीलैंड और मैडागास्कर द्वीप तक बोली जानेवाली कई बोलियाँ आती हैं। इनमें भारतीय क्षेत्र की उराँव, निषाद, शबर आदि बोलियाँ प्रमुख हैं। स्त्री० [सं० मुंड+टाप्] गोरखमुंडी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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