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रसिक  : वि० [सं० रस+ठन्-इक] [भाव० रसिकता, स्त्री० रसिका] १. रसपान करनेवाला २. किसी काव्य, कहानी, बातचीत आदि के रस से आनन्दित होनेवाला। ३. काव्य-मर्मज्ञ। ४. जिसके हृदय में सौन्दर्य मधुर बातें आदि के प्रति अनुराग हो। सहृदय। पुं० १. प्रेमी। २. सारथ। ३. घोड़ा। ४. हाथी। ५. एक प्रकार का छंद।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
रसिकता  : स्त्री० [सं० रसिक+तल्+टाप्] १. रसिक होने की अवस्था, भाव या धर्म्म। २. हँसी-ठट्टा या परिहास करने की वृत्ति।
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रसिक-बिहारी  : पुं० [सं० कर्म० स०] श्रीकृष्ण।
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रसिका  : स्त्री० [सं० रसिक+टाप्] १. दही का शरबत। सिखरन। २. ईख का रस। ३. शरीर में होनेवाला रस या धातु। ४. जीभ। जबान। ५. मैना पक्षी। वि० =रसिक का स्त्री०।
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रसिकाई  : स्त्री०=रसिकता। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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रसिकेश्वर  : पुं० [सं० रसिक-ईश्वर, ष० त०] श्रीकृष्ण।
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